Sunday, December 20, 2009

बेफिक्र उस तरह हुए एक ज़माना हो गया..!!

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सिलवटें शिकन की कब से उभर आयी माथे पर , कब से मैं भीड़ में भी तन्हा हो गया ;

बेफिक्र हो कर जो झूम उठता था हर महफ़िल में , बेफिक्र उस तरह हुए एक ज़माना हो गया |

रास्ते वही हैं , गलियाँ वही , गलियों में अठखेलियाँ करता वो बचपन वही ;

माँ की लोरियां वही हैं , दादी की कहानियां वही , उन कहानियों में आने वाली परियां वही |

पर कब से वो बचपन की लोरी न सुनी , कब से उन गलियों का पता खो गया ;

बेफिक्र जिस तरह, दादी की गोद में सो जाता था कभी , बेफिक्र उस तरह हुए एक ज़माना हो गया |

मौसम वही है , बारिशें वही , बारिशों में गीली मिट्टी की खुशबू वही ;

सुबह वही है , रातें वही , रातों में छाई हुई चांदनी वही |

पर कब से वो बारिश की रिमझिम ना सुनी , कब से सितारों से बाते किये बिन सो गया ;

बेफिक्र तितलियों के पीछे जो भागता था कभी , बेफिक्र उस तरह हुए एक ज़माना हो गया |

लोग वही हैं , रिश्ते -नाते वही , कुछ रिश्तों में दिखावा , कुछ में गहराई वही ;

आरज़ू वही है , हसरतें वही , उन हसरतों को पूरा करने का जज़्बा वही |

पर कब से हसरतें सभी एक ज़िद बन गयी , कब से मैं रिश्तों से इतना मायूस हो गया ;

बेफिक्र जिस तरह ठहाके लगाया करता था यारों में , बेफिक्र उस तरह हुए एक ज़माना हो गया |

फासले कब से बड़ गए आपस में , कब से अनचाही मसरूफियत में , मैं खुद को खो गया ;

बेफिक्र हो कर जो झूम उठता था हर महफ़िल में , बेफिक्र उस तरह हुए एक ज़माना हो गया ||

13 Response to बेफिक्र उस तरह हुए एक ज़माना हो गया..!!

December 20, 2009 at 6:22 AM

रुला दिया यार| :-(

awesome post Brother... bahut yaad aayenge beete hue din, aur jo ab beet rahe hain...

life is going to be hellish February onwards... let's make the most of it, until then... :-)

December 20, 2009 at 6:24 AM

@ mukul: bilkul durust farmaaya janaab aapne..!!

December 20, 2009 at 6:27 AM

@Sooraj: thnx bro..truu..seriously till nw lyf's been a fairy tale. dunno hw wil it unfold. Lets make d most of it.

December 20, 2009 at 10:53 AM

great wrk bro...

Anonymous
December 20, 2009 at 11:46 AM

beautiful.
in a flow you've said everything, memories were flashing one after the other.
touching and refreshing blog.
write more in urdu/hindi.
total fida~
:)

December 20, 2009 at 8:22 PM
This comment has been removed by the author.
December 20, 2009 at 8:23 PM

@Alka: Thnx dear..janaab khayaalon par bhaasha ki bandish nahin..par aapki farmaaiyish pr amal zaroor kiya jayega..!! :P

December 20, 2009 at 8:48 PM

@Shanu: Thnx bro :)

January 6, 2010 at 3:57 AM

khoobsoorat.....
Ye to saaf hai kee hum waapas us samay me nahi jaa sakte per hum us samay ko wapas to la sakte hai na jab bbhee hum chaahein...

January 13, 2010 at 3:16 AM

hey nishin-side-out, u do write welll, some parts did seem pain-o-sophical, 'do understand it happens, after somebody gives u a hand-n-shake u, its more likely u get so. But as my eyes wr strained, i only read the comments....
have fun...

January 13, 2010 at 3:24 AM

@Avinash Sir: Thanx a lot sir. though it wsnt completely inspired by ny han-n-shake, but ya sm parts do reflect it. :)

May 7, 2010 at 1:58 AM

sach me befikra hue 1 zamana beet gaya hai...bus chale ja rahe hain aur chale ja rahe hain hum apni rahon ki khoj me...jinka na humein ehsaas hai or na hi pata...i loved it...:)...

May 17, 2010 at 9:58 AM

@Reema: Thnx dear :)