Thursday, March 25, 2010

मेरी प्या...री माँ

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जब चला जाता हूँ मैं , एक ऐसी दुनिया में ..

जहाँ स्थित है मेरी कामनाओं की परिभाषा , जहाँ ‘दुःख’ एक अनजाना शब्द है , जहाँ डर नहीं है लोगों का , जहाँ प्रतीत होता है- मानो जीवन को एक नया जीवन मिल गया हो, जहाँ किसी वास्तु को चाहने की चाहत ही ना हो , जहाँ एक कृष्ण - काय भयानक रात्री को सुख से व्यतीत करने हेतु पर्याप्त ख़ुशी हो , जिसे मन करता है अपनी यथाशक्ति पकड़ लूँ , मानो ये आँचल हो एक अबोध बालक की आकांशाओं का …

तभी ..मखमली एहसास देता , नर्म अरमानों में जान देता , मेरी सुखी दुनिया को छीन कर पुनः अपेक्षाकृत सुखी दुनिया देता , नए दिन - नयी चेतना को मेरे अन्तः स्थल तक पहुंचाता , मृत आशाओं को अम्रत्पान कराता —एक हाथ.. रेशमी चादर को चीरते हुए मेरे गालों तक पहुँचता है , एक जीवनदायक वाणी मेरी श्रवण -शक्ति को जागरूक करती मेरे मस्तिष्क तक पहुँचती है . मैं तन्द्रा की गोद से उठ बैठता हूँ - एक नया जीवन मेरे सामने होता है और उसमे जान देने के लिए होता है एक प्याला .. जिसकी महक विवश कर देती है मुझे कहने पर …

मेरी प्या...री माँ ”.

11 Response to मेरी प्या...री माँ

March 25, 2010 at 6:17 AM

I am really short of words - how much I am missing my "Maa" right now, can't express...
Its ultimate Nishant :)

March 25, 2010 at 6:17 AM

All of sudden love for mum.

March 25, 2010 at 9:19 AM

@Neha: Dhanyavaad..!!

March 25, 2010 at 9:20 AM

@Vikas: Luv fr mum cn n'er be all of a sudden..its always dere..bt dis write up is quite special 'coz its my frst write up. Wrote it 9 yrs back.

March 26, 2010 at 10:17 PM

@Mukul: Shukriyaa janaab..!!

Anonymous
March 27, 2010 at 2:37 AM

nostalgia nostalgia.
its actually very difficult na to write abt a person whose knows you inside out is closest to you.
bohot sundar..:))

March 27, 2010 at 9:27 AM

Hey Hi nishant dis is Swati here...
Neha passd me ur link... coz she was really touched by ur thoughts.....
I think u have expressed in a very beautiful manner..... itz well said, m deeply touched....:))

March 27, 2010 at 9:14 PM

@Alka: Yes it is..cz the more u write the less it seems. :)

March 27, 2010 at 9:15 PM

@Swati: Hey thnx..'Maa' shaksiyat hi aisi hoti hai..!! :)

March 28, 2010 at 9:54 PM

Seriously true ..No body can love you like ur MOM...No Body can provide you that much security...You can not love any other person';s hand made food except ur MOM.....excellent yaar nishant..u are a Talent Bunch Man...
GO ahead Give us more such kind of compositions....

March 28, 2010 at 10:43 PM

@Ritesh: Thnx bhya. :)